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प्रधान सेवक से रिटर्न गिफ्ट की अपेक्षा रखता है यह छोटा सेवक

ब्रज की दुनिया
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मित्रों, कहते हैं कि भगवान जो भी करता है उसके पीछे कोई न कोई कारण होता है. वैसे उनकी कृपा जरूर अहैतुकी होती है. शायद इसलिए हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री और भगवान विश्वकर्मा का जन्मदिन एक ही दिन पड़ता है. एक देवताओं का शिल्पी और दूसरा नए भारत का निर्माता. दोनों ही निस्वार्थ और दोनों ही निराभिमानी.


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मित्रों, आप कहेंगे कि मोदीजी का जन्मदिन तो हर साल आता है फिर इस बार बधाई क्यों. तो इसका उत्तर देने से पहले मैं आपसे एक प्रतिप्रश्न करना चाहूँगा और आपको साढ़े ३ साल पहले के भारत और साढ़े ३ साल पहले की दुनिया में ले जाना चाहूँगा. साढ़े तीन साल पहले भारत की स्थिति कैसी थी आपको याद है?


रोज-रोज तत्कालीन सरकार के नए-नए घोटाले सामने आ रहे थे. ऐसा कोई विभाग नहीं बचा था, जिसमें घोटाला नहीं किया गया हो. देश के विकास के लिए सरकार के एजेंडे में कोई स्थान ही नहीं था और लगता था जैसे एकमात्र लूटने-खसोटने के उद्देश्य से ही सरकार का गठन किया गया था.


लोग राजनीतिज्ञों से इस कदर निराश हो चुके थे कि कानों में उनका नाम पड़ते ही चेहरे पर स्वतः घृणा के भाव आ जाते थे. वैश्विक परिदृश्य में भारत को कोने में धकेल दिया गया था. यहाँ तक कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने हमारे कथित प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हरदम रोने वाली देहाती महिला घोषित कर रखा था.


मित्रों, अब आते हैं आज के परिदृश्य पर. आज भारत में चतुर्दिक जोश का माहौल है, सरकार के प्रति विश्वास का वातावरण है. ईमानदार खुश हैं और बेईमान परेशान. नोटबंदी और जीएसटी के चलते अर्थव्यवस्था की रफ़्तार कुछ घटी जरूर है, लेकिन भविष्य के लिए नई उडान की असीम संभावना भी बनी है.


भारत के वे सारे पड़ोसी जो भारत का अहित चाहते थे, भारत की बढती ताकत से परेशान हैं. पूरे संसार को प्रकम्पित कर देने वाला ड्रैगन आज भयभीत और शर्मिंदा है. आतंकियों को अब बिरयानी नहीं दिया जाता, बल्कि सीधे नरक भेज दिया जाता है. आज पूरी दुनिया हर मानवीय संकट में भारत की तरफ आशाभरी दृष्टि से देख रही है. आज भारत की आवाज दुनिया की सबसे सशक्त आवाज है.


मित्रों, कुल मिलाकर नरेन्द्र मोदी जी ने अपने कार्यों से जनता के मन में राजनीतिज्ञों के प्रति जो घृणा का भाव था, उसको न केवल कम किया है, बल्कि जनता के मन में अपने प्रति श्रद्धा उत्पन्न की है. वैसे मेरे जैसे निर्धन के पास ऐसा कुछ नहीं है, शाब्दिक उद्गारों के अलावा जो मैं उनको उनके ६७वें जन्मदिन पर भेंट कर सकूं. उल्टे अपने प्रधान सेवक से यह छोटा सेवक रिटर्न गिफ्ट की अपेक्षा रखता है.


मेरी उनसे दो मांगें हैं- १. बैंकों में जो न्यूनतम जमा रखने का नियम रखा गया है, उसको आय के आधार पर दो श्रेणियों में बाँट दिया जाए. जो लोग आयकर देते हैं उनके लिए तो हजार-दो हजार की सीमा रखी जाए, लेकिन जिनकी आय आयकर के दायरे में नहीं आती, उनके लिए शून्य बैलेंस को मंजूरी दी जाए.


२. पेट्रोल और डीजल की कीमत के सम्बन्ध में सरकार स्थिति स्पष्ट करे. अगर वास्तविक कर-संग्रह में गिरावट के चलते ऐसा करना अनिवार्य है, तो पीएम को इसके लिए सीधे जनता से बात करनी चाहिए और जनता-जनार्दन का आह्वान करना चाहिए. इसके साथ ही मोदी जी से अनुरोध करूंगा कि अल्फ़ान्सो जी की दिग्विजयी (मेरा मतलब दिग्विजय सिंह से है) जुबान पर शीघ्रातिशीघ्र ताला लगाएं.


मित्रों, अंत में मैं मोदी जी को उनके जन्मदिन पर बहुत-बहुत बधाई देते हुए ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनका स्वास्थ्य हमेशा उत्तम रहे और उनको देश निर्माण की दिशा में लगातार सफलता-दर-सफलता मिलती रहे.

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