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कल्पवृक्ष हैं नरेन्द्र मोदी

ब्रज की दुनिया
ब्रज की दुनिया
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मित्रों,आपको याद होगा कि पिछली केंद्र सरकार के समय देश की स्थिति कैसी थी. भारत के तत्कालीन विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद जिस तरह से पाकपरस्त बयान दे रहे थे उससे कई बार संदेह होता था कि वे भारत के विदेश मंत्री हैं या पाकिस्तान के. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत के प्रधानमंत्री को गंवार झगडालू महिला का ख़िताब अता फरमा रहे थे. तब हमें २४ फरवरी २०११ को अपने ब्लॉग ब्रज की दुनिया पर महाकवि गोपाल सिंह नेपाली की लम्बी कविता ओ राही,दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से के माध्यम से याद दिलाते हुए लिखना पड़ा था कि
ओ राही,दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से
चरखा चलता है हाथों से,शासन चलता तलवार से
यह रामकृष्ण की जन्मभूमि,पावन धरती सीताओं की
फिर कमी रही कब भारत में,सभ्यता-शांति सद्भावों की
पर नए पडोसी कुछ ऐसे,पागल हो रहे सिवाने पर
इस पार चराते गौएँ हम,गोली चलती उस पार से
ओ राही,दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से …………..
मित्रों,तब सीआरपीएफ के जवानों को कांग्रेस-अब्दुल्ला की साझा सरकार ने कश्मीर में निहत्थी ड्यूटी करने के लिए बाध्य किया था. जब १३ मार्च,२०१३ को हमारे ५ सीआरपीएफ जवानों को आतंकियों ने मार डाला था तब हमें क्रोधित स्वर में अपने उसी ब्लॉग पर लिखना पड़ा था कि आज खुश तो बहुत होंगे उमर अब्दुल्ला. क्या आपने कहीं सुना है कि सेना बिना हथियार के लडती है?
मित्रों,इसी प्रकार से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने १५ अगस्त,२००४ को लाल किले के प्राचीर से अपना पहला भाषण देते हुए घोषणा की थी कि ‘देश के संसाधनों पर पहला हक़ मुसलमानों’ का है और हिन्दुओं को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की गहरी साजिश के संकेत दिए थे. फिर जब तक उनकी सरकार दिल्ली में रही हिन्दुओं के खिलाफ लगातार साजिश रचती रही. मानों उनके और देश के सबसे बड़े दुश्मन पाकिस्तान और चीन नहीं हों हिन्दू हों. यहाँ तक कि पूरी दुनिया को काल्पनिक जन्नत की चाह में जहन्नुम बना देनेवाले जेहादी आतंकवाद के जवाब में हिन्दू आतंकवाद की कल्पना तक कर ली गयी और नए हिन्दू-विरोधी दंगा कानून को प्रस्तावित किया गया. तब हमें 10 फ़रवरी 2011 को अपने आलेख क्या भारत में हिन्दू होना अपराध नहीं है? और 6 अप्रैल 2014 को अल्पसंख्यकवाद,आरक्षण और छद्म धर्मनिरपेक्षता के माध्यम से कड़ा प्रतिकार करना पड़ा था.
मित्रों,जब २जी घोटाला हुआ और ए. राजा घोटालेबाजों के राजा बन गए थे तब हमें बाध्य होकर 13 नवंबर 2010 को लिखना पड़ा था कि राजा तुम कब जाओगे.
मित्रों,कुल मिलाकर जब भारत की आत्मा आहत थी, हिन्दू मन हताश था, योजना आयोग ऑंखें बंद कर रेवड़ी बाँट रहा था, घोटालों की लाईन लगा दी गयी थी और तर्क दिया जा रहा था कि ये घोटाले देशहित में किए जा रहे हैं (सोमवार, 27 अगस्त 2012 देशहित में किए जा रहे हैं घोटाले), कानून के राज के प्रति विश्वास क्षीण हो रहा था, भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा न्यूनतम विन्दु पर थी, राजनैतिक दल चंदे का हिसाब देने से कतरा रहे थे, वेश्यावृत्ति और समलैंगिकता को कानूनी मान्यता देने की तैयारी हो रही थी, सीबीआई सरकारी तोता बनकर रह गयी थी, मुंबई, हैदराबाद, बंगलौर में रोजाना आतंकी हमले हो रहे थे, रोज कोई-न-कोई नौसैनिक जहाज और पनडुब्बी डूब रहे थे, अन्ना और केजरीवाल से जनता का मोहभंग होने लगा था ऐसे अति निराशाजनक माहौल में २० दिसंबर,२०१२ को गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के साथ ही केंद्रीय राजनीति में उदय हुआ नरेन्द्र मोदी का. उस दिन उनको सुना तो लगा जैसे सिंह गर्जना कर रहा हो. हमने उसी दिन उनका राजतिलक करते हुए आलेख लिखा कि नरेन्द्र मोदी भारत के अगले प्रधानमंत्री होंगे. फिर आया २७ अक्तूबर,२०१३ का दिन. पटना के गाँधी मैदान में बम धमाकों के बीच मोदी जी में भाषण दिया. ८ बम फटे, ५ लोग मारे गए लेकिन न तो जनता विचलित हुई और न ही नरेन्द्र मोदी का विश्वास डगमगाया. (ब्रज की दुनिया, रविवार, 27 अक्तूबर 2013,धमाकों के बीज गूंजी शेर की दहाड़ ). फिर आया १६ मई,२०१४ नए सूरज के साथ. भारत में रक्तहीन क्रांति घटित हो चुकी थी. तब हमने एक भारतीय आत्मा के उछाहों को स्वर देते हुए लिखा कि छोडो कल की बातें कल की बात पुरानी.
मित्रों,नई सरकार ने ताबड़तोड़ फैसले लेते हुए कैबिनेट की पहली बैठक में कालाधन के खिलाफ एसआईटी का गठन किया.भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जैसे उसके कुछ फैसले गलत भी साबित हुए और उसको यूटर्न भी लेना पड़ा लेकिन सरकार की नीयत में खोट नहीं थी. जब मोदी जी ने देश की सक्षम जनता से गरीब परिवारों के पक्ष में रसोई गैस की सब्सिडी त्यागने की अपील की तब कई लोगों ने कहा कि जब लोकसभा कैंटीन की सब्सिडी बंद होगी तभी वे ऐसा करेंगे और मोदी जी ने कहा तथास्तु. लोकसभा कैंटीन की सब्सिडी समाप्त कर दी गयी. इसी तरह हमने ७ अप्रैल,२०११ को एक आलेख कैसे बांधे बिल्ली खुद अपने ही गले में घंटी के माध्यम से और बाद में भी कई आलेखों के द्वारा मांग की कि राजनैतिक दलों को भी चंदे का ब्यौरा देना चाहिए. हमने शनिवार, 4 फ़रवरी 2017 को शुभस्य शीघ्रम मोदी जीआलेख द्वारा सवाल उठाया कि जब सामान्य लेन-देन को कैशलेस किया जा रहा है तो राजनैतिक दलों को मिलनेवाले चंदे को क्यों नहीं कैशलेस कर दिया जाए और मोदी जी ने कहा तथास्तु. पहले हम अपने गाँव में बिजली नहीं होने की समस्या उठाते थे (सोमवार, 17 फ़रवरी 2014, एक गांव सुशासन ने जिसकी रोशनी छीन ली) मोदी जी ने एक बारगी भारत के सभी बिजलीविहीन गांवों को बिजलीयुक्त कर दिया. आज भारत चीन सहित पूरी दुनिया के सामने गर्व से सिर उठाकर न सिर्फ खड़ा है बल्कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. देश और विदेश-स्थित कालेधन के खिलाफ जंग छेड़ दी गयी है. वन रैंक वन पेंशन लागू कर दिया गया है, रेल विकास प्राधिकरण प्रणाली को स्वीकृति दे दी गयी है, बुलेट ट्रेन का सपना सच होने जा रहे है, पुलिस को जवाबदेह बनाने के लिए विधेयक आने जा रहा है, न्यायपालिका, पुलिस और जेल को नई तकनीक द्वारा जोड़ा जा रहा है, अवैध गोवधशालाओं को बंद करवाया जा रहा है, मनचलों पर कार्रवाई हो रही है, शशिकला जेल में है, हमारी सेना का मनोबल आठवें आसमान पर है, पूँजी निवेश में भारत नंबर एक बन चुका है,मेक ईन इंडिया द्वारा भारत को सोने की चिड़िया के बजाए सोने का शेर बनाया जा रहा है, कभी चुनाव नहीं लड़नेवाले राजनैतिक दलों की मान्यता समाप्त कर दी गयी है. हालाँकि अभी भी गायों के नर शिशुओं के रक्षण, कृषि, गंगा, रोजगार-सृजन, शिक्षा, मनमोहन,सोनिया,लालू,मुलायम,मायावती को जेल, मंत्रिमंडल पुनर्गठन, राजनैतिक दलों के लिए आय के साथ-साथ व्यय की जानकारी देना अनिवार्य करना आदि ऐसे कई क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें मोदी जी से तथास्तु कहवाना बांकी है. हमारे साथ-साथ आप भी विश्वास रखिए कि एक-न-एक दिन ऐसा जरूर होगा क्योंकि मोदी सरकार में देर है लेकिन अंधेर नहीं है.

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