Menu
blogid : 1147 postid : 1315054

लोकतंत्र की विडंबना हैं बिहार-उत्तर प्रदेश

ब्रज की दुनिया
ब्रज की दुनिया
  • 707 Posts
  • 1276 Comments

मित्रों,इन दिनों उत्तर प्रदेश में चुनावी मौसम चल रहा है और कांग्रेस,सपा और आधुनिक मुद्राराक्षस पीके की तरफ से फिर से बिहार को दोहराने का प्रयास चल रहा है.कांग्रेस एक बार फिर से अपनी बर्बादी की कीमत पर प्रधानमंत्री को नीचा दिखाना चाहती है.आजकल कांग्रेस की बस इतनी ही रणनीति और ध्येय रह गया है.यह कांग्रेस न तो नेहरूवाली है और न ही इंदिरा-राजीव या नरसिंह राव वाली बल्कि यह इटलीवाली है जो जब १० साल तक सत्ता में थी तब भी देश को सिर्फ नुकसान पहुँचा रही थी और जब अब विपक्ष में है तब भी नुकसान पहुँचा रही है.वास्तविकता तो यह है कि यह सोनिया वाली इटालियन कांग्रेस भारतविरोधी ताकतों के हाथों का मोहरा बनकर रह गयी है.
मित्रों,आज एक समय में विश्व इतिहास और गणतंत्र का पालना रहे बिहार और उत्तर प्रदेश में लोकतंत्र की क्या हालत है?कल जब बिहार के मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे तब एक युवक जो पटना जिले का ही रहनेवाला था उनसे मिलने की कोशिश कर रहा था.बेचारे की बहन की ईज़्ज़त को दबंगों ने तार-तार कर दिया था और पुलिस केस दर्ज करने के लिए पैसे मांग रही थी.एक भाई जिसकी ज़िन्दगी को एक गाली बना दिया गया हो उसको मुकदमा दर्ज तक करवाने के लिए मुख्यमंत्री के यहाँ फरियाद लगानी पड़े इससे बड़ी विडंबना उस लोकतंत्र के लिए और क्या हो सकती है जिसको किताबों में जनता का,जनता द्वारा और जनता के लिए शासन बताया जाता है.
मित्रों,उत्तर प्रदेश की स्थिति तो और भी विचित्र है.वहाँ तो बलात्कार को मामूली ग़लती माना जाता है और ऐसी ग़लती मंत्री भी करते रहते है.हास्यस्पद तो यह है कि मंत्री का नाम प्रजापति है यानी प्रजा के रक्षक. वहाँ तो मंत्री के ऊपर केस दर्ज करवाने के लिए पीडिता को सर्वोच्च न्यायालय जाना पड़ता है.जाहिर है कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में गुण्डों का,गुण्डों द्वारा और गुण्डों के लिए शासन है.
मित्रों,पता नहीं आज कर्पूरी या लोहिया जीवित होते तो क्या प्रतिक्रिया करते लेकिन इतना तो तय है कि इस समय जो शासन बिहार और उत्तर प्रदेश में है वो किसी भी दृष्टि से लोकतंत्र नहीं है.बिहार में भ्रष्टतंत्र है और उत्तर प्रदेश में गुंडातंत्र.बिहार के लोग तो गलती कर चुके हैं मगर क्या उत्तर प्रदेश के लोग भी वही गलती करने की गलती करेंगे? इसी तरह से बिहार में भी बिहारी और बाहरी का वितण्डावाद खड़ा किया गया था लेकिन आज आम बिहारी कहाँ है और उसकी ईज़्ज़त कहाँ है?थाने के बाहर उसको नंगा करके खड़ा कर दिया गया है कथित सू शासन की उपलब्धि के रूप में. शायद अगली बार सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भी कार्रवाई तो दूर एफआईआर तक दर्ज न हो.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh