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पहले बीएसईबी, अब बीएसएससी, नेक्स्ट?

ब्रज की दुनिया
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मित्रों,कई साल पहले २०११ की बात है.तब हमें बिहार सचिवालय सहायक परीक्षा जो बीएसएससी लेती थी देने बेगुसराय जाना था.एक दिन पहले ही हम बेगुसराय पहुँच गए.परीक्षा अच्छी जानी थी सो गयी.आखिर हम आईएएस के साक्षात्कार तक फेस किए अभ्यर्थी थे.उधर से वापस हाजीपुर आने में हमारी हालत ख़राब हो गयी.ट्रेन में इतनी भीड़ कि पेशाब करने तक जाना मुश्किल ही नहीं असंभव जैसा था.किसी तरह से हम हाजीपुर पहुंचे.
मित्रों,परीक्षा के कुछ ही दिन बाद हमारा एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मिलने जाना हुआ.हमने जब उनसे बताया कि हमने ये परीक्षा दी है जो काफी अच्छी भी गयी है तो उन्होंने सीधे-सीधे कहा कि आप कतई पास नहीं होने जा रहे हैं क्योंकि सारी सीटें बेचीं जा चुकी हैं.जब रिजल्ट आया तो उनका कहा सच साबित हुआ.मैं क्या करता?हाथ में कलम थी मन में गुस्सा सो बिहार कर्मचारी आयोग है या बिहार कुर्मी चयन आयोग शीर्षक से एक आलेख ब्रज की दुनिया पर लिख डाला.
मित्रों,जाहिर था कि आयोग में सारा खेल सीएम की मर्जी से खेला जा रहा था इसलिए कोई प्रभाव नहीं हुआ.लेकिन वो कहते हैं न कि पाप का घड़ा एक-न-एक दिन भर जाता है सो एक दिन इंटर आर्ट्स की बिहार टॉपर का मामला मीडिया के सामने आ गया और सामने आ गयी सुशासन की मखमली कालीन के नीचे छिपी हुई सड़ांध.जाँच की आंच बोर्ड के अध्यक्ष लालकेश्वर तक पहुँच गयी और पता चला कि नीतीश के लाल सह दलाल लालकेश्वर के सर पर स्वयं सुशासन बाबू का हाथ था.धीरे-धीरे घोटाले में जेल गए सारे लोग सरकार की मिलीभगत से बाहर भी आने लगे हैं.लालकेश्वर भी आ जाएँगे और मीडिया चीखती-चिल्लाती रह जाएगी.
मित्रों,बीएसईबी के बाद पाप का घड़ा भरा बीएसएससी का.इंटरस्तरीय परीक्षा से पहले ही उत्तर सोशल मीडिया पर वाईरल हो गया.इस बार भी अध्यक्ष जी तक घोटाले के तार पहुँच चुके हैं और श्रीमान जेल भेजे जा चुके हैं लेकिन सवाल उठता है कि हर डाल पर उल्लुओं को बिठाया किसने है?पूर्व मुख्यमंत्री मांझीजी कई बार कह चुके हैं कि बिहार में धडल्ले से अध्यक्ष और सचिव की कुर्सियां बेचीं जाती हैं.कहते हैं कि अगलगी में कुत्ते नहीं जलते ठीक उसी तरह जब कोइ घोटाला उजागर होता है तो अध्यक्ष या सचिव को कुछ दिनों के लिए पकड कर अन्दर कर दिया जाता है और सुशासन बाबू का बाल भी बांका नहीं होता. पता नहीं अगली बार किस विभाग के पाप का घड़ा भरकर फूटनेवाला है? जस्ट वेट एंड वाच.

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