Menu
blogid : 1147 postid : 1261807

बोले राम सकोप तब भय बिनु होंहि न प्रीति

ब्रज की दुनिया
ब्रज की दुनिया
  • 707 Posts
  • 1276 Comments

मित्रों,सर्वप्रथम हम आपलोगों से क्षमा चाहते हैं। क्योंकि हमने पहली बार झूठ को सच मान लेने का अपराध किया है। दरअसल खबर आई ही थी इतने बड़े-बड़े लोगों और पत्रकारों के माध्यम से कि हम भ्रमित हो गए। लेकिन कल जब हमने पीएम को सुना और गुना तो समझ गए कि खबर झूठी थी। पता नहीं यह खबर कहाँ से आई, क्यों आई या क्यों लाई गई कि भारत की सेना ने पाक सीमा में घुसकर आतंकी शिविरों पर कार्रवाई की है?
मित्रों,हमें तो पीएम के कल के भाषण से खासी निराशा हुई। इतनी निराशा हमें तब भी नहीं हुई थी जब हमारी सिविल सेवा की परीक्षा का अंतिम बार अंतिम परिणाम आया था। लगा जैसे मौका श्राद्ध का हो और गीत विवाह के गाए जा रहे हों। लगा जैसे हम एकबार फिर से अटल बिहारी वाजपेई को सुन रहे हों। लगा जैसे कुरूक्षेत्र के मैदान में श्रीकृष्ण अर्जुन को युद्ध छोड़कर भाग जाने और गांडीव को त्यागकर कर में कमंडल लेकर संन्यास ले लेने के लिए प्रेरित कर रहे हों। लगा जैसे निर्बल राम रावण के आगे दंडवत होकर कह रहे हों कि सीता को आप ही रखिए हमें किसी भी स्थिति में युद्ध नहीं चाहिए। लगा जैसे हम दीवाली में फोड़ने के लिए बहुत महंगा पटाखा लाए हों। पूरे गांव को हमने हमने अपने दरवाजे पर जमा कर लिया हो और वो धमाका करने के बजाए फुस्स हो गया हो।
मित्रों,रामायण में एक प्रसंग है कि भगवान राम को सेनासहित सागर पार करना है। वे तीन दिनों तक विनत होकर सिंधु से रास्ता मांगते हैं। अंततः उनका धैर्य जवाब दे देता है और राम क्रोधित होकर अनुज लक्ष्मण से धनुष-वाण ले आने को कहते हैं। धनुष पर ब्रह्मास्त्र का संधान होते ही सिंधु त्राहिमाम करता हुए उनके चरणों में आ गिरता है। हमारे बिहार में भी कहावत है कि जैसा देवता वैसी पूजा। कहने का मतलब कि कुछ बात के देवता होते हैं और कुछ लात के। कई प्रधानमंत्री आए और गए। सबने पाकिस्तान से यही कहा कि हमें आपके साथ मिलकर गरीबी,अशिक्षा,बिमारी,कुपोषण और बेरोजगारी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है लेकिन पाकिस्तान के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी। बदले में उसने कहा कि आपको इनके खिलाफ लड़ना है तो शौक से लड़िए मगर हमें तो पूरी मानवता के खिलाफ ही लड़ना है,पूरी धरती की शांति को नष्ट-विनष्ट करके रख देना है। ऐसे में भला कब तक इंतजार किया जाएगा कि पाकिस्तान का स्वतः हृदय-परिवर्तन हो जाए? मर्यादापुरूषोत्तम राम ने भी ताड़का जैसी कई राक्षसियों का संहार किया जबकि नीति कहती है कि स्त्री अवध्या होती है। क्या हमारे प्रधानमंत्री इतनी छोटी-सी बात भी नहीं समझ पा रहे हैं?
मित्रों,राष्ट्रकवि दिनकर कहते हैं क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो,उसको क्या जो दंतहीन,विषहीन,विनीत,सरल हो। सहनशीलता,क्षमा,दया को तभी पूजता जग है,बल का दर्प चमकता उसके पीछे जब जगमग है। हम यह नहीं कहते कि भारत सरकार जल्दबाजी में कोई कदम उठाए लेकिन यह भी नहीं चाहते कि कोई कदम उठाया ही नहीं जाए। आखिर कब तक हम दुनियाभर में राक्षसी-संस्कृति के प्रसार में लगे लोगों के दुस्साहस को नजरंदाज करते रहेंगे? आखिर कब तक हमारे सैनिक बिना लड़े ही मारे जाते रहेंगे? आखिर कब तक हमारी धरती हमारे अपनों के खून से लाल होती रहेगी और हम मूकदर्शक होकर किंकर्त्तव्यविमूढ़ भाव को धारण किए राजकीय सम्मान के साथ अंतयेष्टि करते रहेंगे? आखिर कब तक??? आखिर कब तक प्रधानमंत्रीजी??? आप हमारी आखिरी उम्मीद थे और हैं। हमारी उम्मीदों को टूटने से बचा लीजिए प्लीज। अन्यथा हमें मानना पड़ेगा कि भारत एक सॉफ्ट स्टेट था और हमेशा रहेगा। हमें मानना पड़ेगा कि भारत में कभी कोई वीर पैदा ही नहीं हुआ। चंद्रगुप्त,प्रताप,पृथ्वीराज,सांगा,लक्ष्मीबाई,आल्हा-ऊदल,गोरा-बादल,शिवाजी आदि भारत में हुए ही नहीं थे। हमारा पूरा-का-पूरा इतिहास झूठ है। चंदवरदाई,जगनिक,महेश और भूषण झूठे हैं। लात खाना हमारी आदत और फितरत है और हमेशा रहेगी।

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh