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बर्बाद हो रहा बिहार है,नीतीशे कुमार है

ब्रज की दुनिया
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मित्रों, कभी-कभी नारों का जादू जनता के सर पर इस कदर चढ़कर बोलता है जनता भले-बुरे की पहचान करने की क्षमता भी खो देती है. जनता यह भी भूल जाती है कि जब वही व्यक्ति १० साल में बहार नहीं ला पाया तो अब ५ साल में कहाँ से ला देगा? जनता यह भी भूल जाती है कि पूरे भारत में भ्रष्टाचार और कुशासन के प्रतीक बन चुके व्यक्ति की गोद में बैठकर कोई कैसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ सकता है और सुशासन की स्थापना कर सकता है?
मित्रों,परिणाम सामने है.बिहार में फिर से नीतीश कुमार है लेकिन बर्बाद हो रहा बिहार है.आज के बिहार में (नवादा में पांच परमेश्वरों द्वारा लगाई गयी रेप की कीमत ) महिलाओं की ईज़्ज़त की कीमत मात्र २००० रु. रह गई है,रेप के आरोपी विधायक को पुलिस गिरफ्तार नहीं करती बल्कि वो खुद ही पंडित से दिन दिखाकर आत्मसमर्पण करता है. इतना ही नहीं वो जेल में भी ठाठ से रहता है,होली के दिन नवादा जेल के सभी कैदियों को अपनी तरफ से मीट का महाभोज देता है और जेल मैन्युअल की ऐसी की तैसी किये रहता है. जब तक वो कृपा करके कथित समर्पण नहीं करता कोरे नारों के माध्यम से बिहार में बहार लाने का दावा करनेवाले नीतीश जी कहते हैं कि उसको बख्शा नहीं जाएगा और उसके खिलाफ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाया जाएगा लेकिन जब वो जेल पहुँचता है तो पूरा जेल प्रशासन उसके साथ इस तरह के व्यवहार करते हैं जैसे वो घोषित तौर पर सरकारी दामाद हो.
मित्रों,जबसे राजबल्लभ जेल में पधारे हैं पता नहीं नीतीश जी का फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट कहाँ चला गया है? डर लगता है कि कहीं नीतीश जी के सात महान जुमलों (कथित निश्चयों) की तरह यह भी एक जुमला तो नहीं? नीतीश जी ने अपने ७ जुमलों को ही सरकारी नीति बना दी है. इसको पूरा करने के लिए १ बिहार मिशन नामक विभाग बना दिया है और इसको सारे मंत्रियों और अधिकारियों के ऊपर बिठा दिया है. सवाल उठता है कि फिर भारी-भरकम मंत्रिमंडल की जरुरत ही क्या है? सवाल यह भी उठता है कि जिस बिहार की ९९.९ प्रतिशत जनता नीतीश के १० साल के शासन के बावजूद पानी के नाम पर जहर पी रही है उसको अगले ४.५ सालों में नीतीश कैसे शुद्ध पेयजल मुहैया करवा देंगे? यह १ निश्चय ही वे शर्तिया पूरा नहीं कर पाएंगे फिर बाँकी के ६ के १ प्रतिशत भी पूरा होने की बात दूर ही रही (चित्र में देखें ७ निश्चय ).
मित्रों,खैर,ये तो हुई उन जुमला कुमार जी के ७ महान जुमलों की बात जिनका २०१४ -१५ का बजट ही जुमला साबित हो चुका है लेकिन बिहार के लिए सबसे दुःखद पहलु यह है कि नीतीश कुमार को बिहार के समक्ष आ चुकी सबसे बड़ी समस्या दिख ही नहीं रही,उसे जुमलों में भी शामिल नहीं किया गया है. वो समस्या है जलवायु परिवर्तन के कारण बिहार का राजस्थान में बदल जाना। बिहार में कई सालों से सूखे जैसी स्थिति है,भूगर्भीय जलस्तर ५० फ़ीट तक नीचे जा चुका है. बिहार की खेती जो बिहार की जान है बर्बादी के कगार पर है और नीतीश जी प्रधानमंत्री सिंचाई योजना से युद्धस्तर पर लाभ उठाने के बदले अभी भी चुनावी मोड में हैं और आरोप-आरोप का गन्दा खेल खेल रहे हैं. जागिए प्रभु और बिहार की खेती को बचाईये यानि बिहार को बचाईये। जबकि जमीन के अंदर पानी ही नहीं रहेगा तो हर घर को सप्लाई क्या करेंगे? मतलब नंगा नहाएगा क्या और निचोड़ेगा क्या? अगर आपको बिहार से किंचित मात्र भी प्यार है तो बिहार को बचाईये,बिहार को बचा लीजिए। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना में कोई कमी है तो केंद्र को बताईये,मिल-जुलकर नए बिहार का निर्माण करिए. अगर मिल-जुलकर बिहार को लूटना है तब तो कोई बात नहीं,तब तो आपके पास लालू प्रसाद एन्ड फैमिली है ही.

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