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मित्रों,पिछले एक महीने का समय दिल्ली वालों के लिए एक के बाद एक हद से गुजरने का रहा है। पहले तो उन्होंने सारी हदों को पार करते हुए एक ऐसी पार्टी को विधानसभा की लगभग सारी-की-सारी सीटें दे दीं जिसका काम काम करना नहीं बल्कि रायता फैलाना भर है। फिर उसके बाद से हद करने की बारी रही है उस पार्टी की जिसके दिल्ली में जीतने के बाद मीडिया के छद्मधर्मनिरपेक्ष हिस्से के कदम जमीन पर पड़ ही नहीं रहे थे। कोई इसे मोदी के लिए झटका बता रहा था तो कोई मोदी के अंत की शुरूआत।
मित्रों,मगर यह क्या हुआ कि आज जीत के एक महीने के भीतर ही वह पार्टी पार्टी नहीं फाइटिंग क्लब बन गई है। लगातार उसके कर्णधार एक-दूसरे पर आरोपों की बरसात किए जा रहे हैं। सिनेमा हॉल वाले परेशान हैं कि शो खाली क्यों जा रहे हैं। जाए भी क्यों नहीं जब मुफ्त में जबर्दस्त कॉमेडी,सस्पेन्स,थ्रिलर,रिवेन्ज,एक्शन टेलीवीजन और अन्य समाचार माध्यमों पर चौबीसों घंटे उपलब्ध है तो कोई क्यों जाए सिनेमा देखकर व्यर्थ में पैसा बर्बाद करने? मेरी सिनेमा हॉलवालों को मुफ्त में सलाह है कि वे केंद्र सरकार से मांग करें कि आप पार्टी पर मनोरंजन कर लगाया जाए। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गई तो निकट-भविष्य में हो सकता है कि बॉलीवुड का नामोनिशान ही नहीं रहे।
मित्रों,आज अगर आप पार्टी की स्थिति को देखते हुए कोई अपनी मूर्खता पर रो रहा होगा तो वो होगी दिल्ली की जनता। उनसे किए गए 70 वादों पर तो अब आप पार्टी के लोग बात भी नहीं कर रहे,वादों को पूरा क्या खाक करेंगे। हाँ एक बात को लेकर दिल्ली की जनता जरूर संतोष कर सकती है कि सरकार बनाने के तुरंत बाद से भी आप पार्टी के नेतागण उनका भरपुर मनोरंजन कर रहे हैं। जहाँ तक मोदी जी के पूर्णकालिक व स्थायी विरोधी मीडिया का सवाल है तो वे लोग इस समय खेती-किसानी,फिल्मों और क्रिकेट से संबंधित कार्यक्रमों का चौबीसों घंटे प्रसारण कर सकते हैं,समाचार तो दिखा नहीं सकते क्योंकि फिर तो उनको अपने महानायक के दोगलेपन को दिखाना होगा।
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)
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