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य़ा खुदा अपने बंदों से यजीदियों की रक्षा कर!

ब्रज की दुनिया
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मित्रों,सामान्य लोक-व्यवहार यह कहता है कि हमें दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना चाहिए दूसरों से हम जिस तरह के व्यवहार की उम्मीद रखते हैं। आज ISIS के इस्लामिक लड़ाके दूसरे पंथों के अल्पसंख्यक अनुयायियों के साथ जैसा व्यवहार ईराक और सीरिया में कर रहे हैं अगर कल किसी ऐसे देश में जहाँ कि वे अल्पसंख्यक हैं उनके साथ भी वही सब हुआ तो क्या वे इसे ईराम और सीरिया की तरह सामान्य घटना मानकर स्वीकार कर लेंगे? धरती पर रहनेवाला कोई भी व्यक्ति कैसे ऐसा सोंच सकता है कि सिर्फ वही ठीक-ठीक सोंच सकता है और सोंचता है और बाँकी लोग गलत हैं इसलिए बाँकियों को या तो उसकी सोंच को मान लेना चाहिए यानि उसकी तरह ही सोंचना चाहिए या फिर मरने के लिए तैयार रहना चाहिए? महिलाएँ तो ब्रह्मा हैं,सृष्टि करती हैं फिर उनके साथ पशुओं से भी ज्यादा बुरा व्यवहार कोई कैसे कर सकता है? महिला के गर्भ से उत्पन्न होनेवाला कोई भी पुरूष कैसे महिलाओं के साथ शैतानों जैसा,नरपिशाचों जैसा व्यवहार कर सकता है फिर ISIS तो ऐसे नरपिशाचों की सेना ही है। या खुदा मैं जानता हूँ कि तू बहुत दयालु और इंसाफपसंद है। या अल्लाह अपने महाक्रूर बंदों को या तो सद्बुद्धि दे या फिर उनको किसी तरह से रोक नहीं तो वे धरती से इंसानियत का ही नामोनिशान मिटा देंगे और तब पूरी दुनिया पूँछ विहीन पशुओं की दुनिया रह जाएगी। जिस तरह एक बगीचे में तरह-तरह के फूल होते हैं उसी तरह से इस धरती पर तुझे माननेवाले भी तरह-तरह के हैं। हे ईश्वर,अपने बगीचे को तबाह होने से बचा। अब ऐसा केवल तू ही कर सकता है क्योंकि ISIS के आगे पूरी दुनिया के मानव तो लाचार हैं।

(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)

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