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काबिले तारीफ है अबीदीन का जज्बा

ब्रज की दुनिया
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मित्रों,पाकिस्तान के प्रधानमंत्री परवेज अशरफ की भारत यात्रा के विरोध में अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान जेनुअल अबीदीन भी खड़े हो गए हैं। अबीदीन ने कहा है कि उन्होंने फैसला किया है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के दरगाह पर आने का वो विरोध करेंगे। अबुदीन ने साथ ही कहा कि वो प्रधानमंत्री के लिए जियारत भी नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर मैं पाकिस्तान के पीएम की जियारत में मदद करता हूं, तो यह उन शहीदों का अपमान होगा जिनका सिर एलओसी पर पाकिस्तानी सैनिकों ने काट लिया था। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान ने हमारी भावनाओं को ठेस पहुंचाई और भारत के विरोध जताने के बावजूद दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।’ दीवान अबीदीन ने कहा कि ऐसे समय में जब पाकिस्तान की वजह से देशों के बीच तनाव चरम पर है, तो यह आम राय है कि पाकिस्तान को भारत सरकार, हमारी सेना, शहीदों के परिजनों और सभी नागरिकों से माफी मांगनी चाहिए और इसके बाद प्रधानमंत्री को जियारत के लिए आना चाहिए। ‘इससे पहले शहीद हेमराज के परिवार ने इस यात्रा का कड़ा विरोध किया है। सवाल राजनीति के गलियारों से भी उठ रहे हैं कि जब यह पाकिस्‍तान पीएम की निजी यात्रा है, तो फिर विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद उनकी शान में दावत क्यों दे रहे हैं? पाकिस्तान के प्रधानमंत्री अजमेर शरीफ की दरगाह पर जियारत के लिए पूरे परिवार के साथ आ रहे हैं। वे ख्वाजा के दर पर चादर चढाएंगे, लेकिन उनकी इस यात्रा से देश का दर्द एक बार फिर उभर आया है। अभी दो महीने पहले ही पाकिस्तानी सेना ने हमारे दो जवानों के सर कलम कर दिए थे। इस घटना के बाद सरहद से लेकर सियासी गलियारों तक तनाव बढ़ गया था। शहीदों के परिवार वाले राजा परवेज अशरफ की इस यात्रा का विरोध कर रहे हैं। उनकी शान में विदेश मंत्री जो भोज देने वाले हैं, उससे परिवार आहत है।
मित्रों,जब राजनैतिक गलियारों में परवेज अशरफ के आथित्य पर सवाल उठ ही रहे हैं तो लगे हाथों एक सवाल हम भी उठा देते हैं कि अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान जेनुअल अबीदीन और भारत सरकार में विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद में से कौन देशभक्त है? मैंने जानबूझकर यह सवाल नहीं उठाया है कि इन दोनों में से ज्यादा देशभक्त कौन है और ऐसा इसलिए किया है क्योंकि यह जगजाहिर है कि खुर्शीद केवल गांधी-नेहरू परिवार के भक्त हैं। मैं शुरू से ही यह कहता आ रहा हूँ कि भारत के सारे मुसलमान भारत-विरोधी नहीं हैं जैसे कि भारत के सारे हिन्दू देशभक्त नहीं हैं। उदाहरण के लिए हमारे पूर्व वायुसेनाध्यक्ष श्री एसपी त्यागी भी हिन्दू ही हैं लेकिन वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले में उनका कृत्य़ देशद्रोही वाला ही है। हमें भारत के सारे मुसलमानों को एक ही तराजू पर तौलने का प्रयास कतई नहीं करना चाहिए। हर धर्म और समाज में कुछ लोग अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे भी। इसलिए हमें अपने जेनुअल अबीदीन जैसे देशवासियों पर गर्व करना चाहिए और उनके मातृभूमि-प्रेम को सलाम करना चाहिए। मैं अपने आसपास के तमाम आम मुसलमानों को देखता हूँ तो सारे-के-सारे जेनुअल अबीदीन की तरह के ही हैं। मैंने अपनी शादी में भी एक मुस्लिम बैंड को ही बुलाया था और मुझे आज भी वो लम्हा याद है कि ओम जय जगदीश हरे की धुन को उनलोगों ने कितनी भक्ति से बजाया था। बैंड के संचालक मो. सिराज आज भी जब पिताजी को देखते हैं तो हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं वालेकुमअस्सलाम नहीं करते। ऐसे मुसलमानों को देखकर अगर हमारा सिर भी श्रद्धा और प्रेम से झुक जाता है तो मैं इसमें कुछ भी गलत नहीं मानता। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी अक्सर कहा करते थे कि मुझे ऐसे मुसलमानों से समस्या नहीं है जो भारत से प्यार करते हैं बल्कि मुझे तो ऐसे मुसलमानों से समस्या है जो जब बरसात लाहौर में होती है तो छाता दिल्ली में तान लेते हैं।
मित्रों,आश्चर्य है कि अजमेर शरीफ दरगाह के दीवान जेनुअल अबीदीन के पुरजोर विरोध के बाद भी भारत की सरकार को यह समझ में नहीं आया कि भारत की आम जनता के साथ-साथ भारत का मुसलमान भी क्या चाहता है और वह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सम्मान में भोज दे रही है। खुर्शीद साहब को शायद अब भी भ्रम है कि भारत का मुसलमान प्रत्येक स्थिति में पाकिस्तान से दोस्ती चाहता है और अगर वे देशहित को ताक पर रखकर पाकिस्तानी नेताओं से प्यार की पिंगे बढ़ाते हैं तो मुसलमान उनकी ही पार्टी को वोट दे देगा। खुर्शीद साहब भारत के आधे मुसलमान तो पहले से ही आप धर्मनिरपेक्षतावादियों की करतूतों से वाकिफ थे और जो अब भी मुगालते में थे वे कुंडा (उत्तर प्रदेश) में डीएसपी जिया उल हक की समाजवादी पार्टी के गुंडों द्वारा नृशंस हत्या के बाद उससे बाहर आ गए होंगे। इसलिए अब पाक से दोस्ती का नापाक कार्ड खेलना बंद करिए और हो सके तो नेहरू-गांधी परिवार का भक्त बनने के बदले देशभक्त बनिए। गंदी सियासत करने के बजाए देशहित को सर्वोपरि बनाईए वरना वक्त बाद में आपको और आपकी पार्टी को पछताने का अवसर भी नहीं देगा।

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